पृष्ठभूमि-: पीपल्स एक्शन फार पीपल इन
नीड़ (PAPN) अँधेरी संस्था जिला सिरमौर के ट्रान्स गिरी क्षेत्र में पिछले ३२ वर्षो से वंचित
समाज, महिलाओ व् बच्चों के विकास व् सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रही है | जिला
सिरमौर देश के पिछड़े जिलो में से एक है| यह जिला सामजिक, आर्थिक, राजनैतिक व्
सांस्कृतिक रूप से काफी पिछड़ा होने के कारण महिलाए अत्यधिक पिछड़ी हुई है | जिसके
कारण उनकी अदूरी शिक्षा होना, विकास के समान अवसर न मिलना, जागरूकता की कमी, कार्य
का अधिक बोझ आदि होने के कारण समाज में उनका दर्जा पुरुषों की अपेक्षा और ज्यादा
कम है | महिलाओं की राजनैतिक भागीदारी पंचायतों तक भी सही रूप से नहीं है | आज भी
आधे से ज्यादा उनकी शक्तियों का उपयोग उनके पति अथवा ससुर द्वारा किया जाता है |
जिसके कारण वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते है | 2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल में 90%
महिलाएं खेती का कार्य करती है | लेकिन फिर भी उन्हें किसान (कृषक ) का दर्जा
प्राप्त नहीं है | सरकारी रिकार्डों में आज भी उन्हें ग्रहणी का दर्जा ही दिया
जाता है जो उनके साथ गैर इंसाफ है |
हमारे सविंधान
द्वारा प्रदत्त अधिकारों में हमें समानता का अधिकार दिया गया है परन्तु यह व्याव्हारिक रूप से यह देखने को नहीं मिलता है
| महिलाएं अपनी किशोरावस्था से ले कर पूरे जीवन का उत्पादन का समय उस परिवार को
देती है | लेकिन इसके बाबजूद भी वहां कोई भी समानता व् बराबरी नहीं है | आज विश्व
में हर तीसरी महिला शोषण का शिकार हुई /होती है | अध्यनों से प्राप्त आकड़ों के
अनुसार 90% हिंसा हमारे घरों में होती है | इस जिले में आज भी बहु पति प्रथा, बहु पत्नी प्रथा, बाल
विवाह तथा औरतों के खरीद फरोक्त (वोमेन ट्रैफिकिंग) जैसी कुरीतियाँ है | महिला को
एक मानव की जगह आज भी उसको देने की तथा उपयोग की वस्तुओं के रूप में देखा जाता है| सभी मानव अधिकार महिला के अधिकार भी है | देश में बहुत से कानून महिलाओं के
संरक्षण के लिए बने जरूर है लेकिन यह सभी गुजारे भत्ते पर ही अटक जाते है |
पीपल्स एक्शन फार
पीपल इन नीड़ अँधेरी संस्था द्वारा जिला सिरमौर के ट्रांस्गिरी क्षेत्र में महिलाओं
के गैर बराबरी व् पिछड़ेपन के कारणों को गंभीरता से समझते हुए 50 गावं से WOMEN LAND RIGHT CAMPAIGN की शुरुआत की गई जिसमे महिलाओं व् पुरुषों की इकट्ठी बैठके की गई तथा महिला
मंडलों द्वारा प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश सरकार को दिए गए | इसके साथ साथ संस्था
द्वारा पूरे प्रदेश में महिलाओं के मुद्दों पर कार्य करने वाले संगठनों के साथ इस
मुद्दें को व्यापक बनाने की कोशिश की गई | जिसमे प्रदेश भर में महिलाओं के ऐसे
मुद्दें सामने जहा पर पूरी जमीन पर कर्ज लेकर
उसे मोडगेज करवाया गया तथा घर को बेचा गया तथा परिवार को बहार निकला गया |
इन सब मामलों में महिलाओं को कार्यवाही होने पर पता चला क्योंकि उसका उस सम्पति पर
नाम नहीं है इसलिए उसकी सहमती की आवश्यकता नहीं पडी | राजस्व मंत्री हिमाचल प्रदेश
व् सामजिक न्य्याय मंत्री को महिलाओं द्वारा प्रदेश स्तर पर अपना मांग पत्र दिया
गया कि भारतीय उतराधिकार कानूनों में संशोधन करने की मांग करते हुए विवाह पंजीकरण
के साथ साथ उनका ससुराल की भूमि पर अधिकार सुनिश्चित करने के लिए राजस्व रिकॉर्ड
(जमाबंदी ) में उनका नाम दर्ज करके उन्हें भी पति के जिन्दा रहते हुए किसान होने
का दर्जा तथा अपने अधिकारों को उपयोग करने का मौका मिल सके | इससे पति द्वारा
दूसरी शादी विना तलाक के करने पर रोक लगेगी तथा पुरुषों द्वारा बिना सहमती के जमीन
को बेचना तथा उस पर ऋण लेने पर रोक लगेगी तथा महिलायें अधिकार व सम्मान से तथा
बिना हिंसा किये अपने जीवन का निर्वाह कर सकेगे |
आवश्यकता -:
भूमि बहुत ही महत्वपूर्ण संसाधन है क्योकि उस पर
हमारा भोजन, आर्थिक व् सामजिक सुरक्षा जुडी रहती है | भूमि का अधिकार होने से
महिलाए सामाजिक,राजनैतिक तथा लेंगिक गैर बरब्रियों को कम कर सकती है महिलाए खाद्य
सुरक्षा में अपने परिवार में अहम् भूमिका निभाती है | भूख जैसे ज्वलंत मुद्दों को
भी भूमि पर उनकी पंहुंच व् अधिकार से कम कर सकते है | भारत में 87.3% महिलाएं खेती
पर निर्भर है | 2010-11 के कृषि जनगणना के अनुसार देश में 10.34% महिलाओं के पास
ही भूमि का हक़ है | महिलाओं का जम्में पर अधिकार का मुद्दा केवल उनके आत्म सम्मान
से नहीं अपितु मानव अधिकार (पानी, आजीविका,
काम, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा) से जुड़ा है |ग्रामीण महिलाएं देश की आय को तभी बढ़ा
सकती है जब उसके पास व्यक्तिगत व् सांझे रूप से भूमि का अधिकार हो |महिलाओं का
भूमि पर अधिकार होने से केवल महिलाएं किसान होने का हक़ नहीं बल्कि वे सुरक्षा, बेहतर
स्वास्थ्य, आत्म गरिमा तथा बेहतर जीवन भी जी सकते है | इसलिए महिलाओं का ससुराल की
संम्पति पर अधिकार अति आवश्यक है |
Sumitra
People’s Action for People in Need, Andheri, Sirmour, HP
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