हिमाचल प्रदेश ग्राम शामलात भूमि
हिमाचल प्रदेश
में पहले रजवाड़ा प्रथा थी और जमीने राजाओ की होती थी राजाओ ने कुछ जमीन को
बड़े मालिको और अपने खास चहते को जेसे
नम्बरदार रस्लदार जेलदार आदि को दे दी थी जिससे राजाओ को कर मिलता था संविधान बनने
के बाद 1953 में Big Landed Act बना जिसमे जो मालिक 125 रुपये उपर का मामला देता था उस
मालिक से सरकार ने 125 रुपय से जयादा मामले की जमीन सरकार ने छुड़ा ली थी और इसे
अपने पास रखा और इसकी रखवाली की जिमेदारी पंचायत को दिया | 1972 में सीलिंग एक्ट बना जिसमे
147 बिघा जमीन रखने का प्रवधान रखा गया जिसके कारण काफी जमीने लोगो की सीलिंग में
चली गई | 1972 में मुजरा एक्ट के तहत
मुजारो को कुछ जमीने मिली जितनी जमीने वह काश्त करते थे | 1974 में हिमाचल सरकार ने हिमाचल प्रदेश ग्राम शामलात भूमि निधान
एंव उपयोग अधिनियम 1974 के तहत अपने पास
उस जमीन को लिया जो पंचायत के रख रखाव में शामलात के नाम से रखी थी
और 1974 से 2000 तक सरकार के पास रही इस दोरान सभी वर्गो के लोग इस जमीन का उपयोग
पशुओ के लिए चारा ईधन के लिए लकड़ी पशुओ के लिए चरान्ध, सामूहिक कार्य जेसे स्कूल
आगनबाडी सडक समुदायक भवन आदि के लिए
भी इस जमीन का उपयोग करते थे और इस जमीन
से भूमिहीन को 5 बीघा के पट्टे भी दिए गये थे |
इसका असर बच्चो की
शिक्षा एंव महिलाओ पर कार्य का भोझ एंव दलितों की आर्थिक सिथति और उनके मान सम्मान
पर भी पड़ा है | आज भूसा हरयाणा व् पंजाब से खरीदना पड़ रहा है जो सह्भी दलितों के
लिए संभव नहीं है | पिछले तीन वर्षो से इस क्षेत्र में दलितों के अत्याचारों की
समस्याए बढ़ रही है | कुछ परिवारों के घर भी शामलात जम्में पर बने है आज उनके उपर
उस मालिक का दबाव बढ़ रारहा है | दलितों को नहीं इस क़ानून से सरकारी योजनाओं जैसे
स्कूल,आगंवाडी भवन,रस्ते,सामूहिक भवन,मेले तथा बच्चो के लिए खेल के मैदान आदि सामूहिक कार्य के लिए आने वाले समय में
जमीन नहीं मिल पायगी | संस्था द्वारा इस क़ानून के बारे में समुदाय के स्तर पर
जागरूकता बढाई गई | सिरमौर के दलितों को संगठित किया गया | शामलात क़ानून के बारे
में अध्ययन व् रिपोर्ट बना कर सरकार को भेजी गई | इस बारे में तीन वर्षो से राज्य
स्तर पर कार्यक्रम व् जन सुनवाई की गई | इस के अलावा पूरे प्रदेश के सामजिक संगठनों के
साथ इस मुद्दे को शासन व् प्रशासन के समक्ष रखा गया तथा विधान सभा तथा लोकसभा के
सदस्यों के साथ इस मुद्दे पर पैरवी की गई इतना ही नहीं प्रदेश व् देश के हर मंच तक
इस बारे चर्चा परिचर्चा की गई तथा हिमाचल सरकार को सुझाव भी भेजे गए |
एक तरफ जहाँ हिमाचल प्रदेश भूमि सुधार कानून को
देश में मॉडल के रूप में प्रयोग किया जाता है वहीँ पर आज ऐसे कानूनी संशोधन हुए है जो संविधान की मूल
भावना तथा प्रस्तावना के खिलाफ है | आज इस क़ानून के क्रियांव्यन्न से
जम्मेदारी प्रथा को जिन्दा रहने का स्थान मिला तथा अमीरी व् गरीबी की खाई को और बढ़ने
में मदद मिली है |
Sunder Singh and Birbal Singh
papnbirbal@gmail.com
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